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Jungnama (जंग )
D. N. Malik
(Autor)
·
Sudhir Malik
(Autor)
·
Diamond Books
· Tapa Blanda
Jungnama (जंग ) - Malik, D. N. ; Malik, Sudhir
Sin Stock
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Reseña del libro "Jungnama (जंग )"
मिटा के ख़ुद को मयस्सर ख़ुदी का जाम तो है तेरी निगाह में मेरा कोई मक़ाम तो है ख़ुदी को इश्क़ पे कुर्बान नहीं कर सकता मेरा न हो मेरे जज़्बों को एहतराम तो हैहमने जब चाहा बदल कर रख दिया तक़दीर को मौज को साहिल को हर क़तरे को दरिया कर दियाकर रहा बरबादियों के मश्वरे था आसमाँ झुक गया जब हमने इज़हारे तमन्ना कर दियाहै अक्से फितरत ख़ाकी यह गर्दिशे दौरां कभी रहा अंधेरा, कभी उजाला है।कर सको तुम न अगर अज़मते इन्सां को क़बूल बन्द काबे को करो, तोड़ दो ख़ानोंचमन-चमन है ख़िरामां कि फिर बहार आई सबा है मुश्क बदामां कि फिर बहार आई
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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